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हरी खाद अपनायें- मृदा उरर्वता बढ़ाऐं (Use green manure- increase soil fertility)

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वर्तमान में   फसल उत्पादन हेतु कितना ज्यादा कृत्रिम खाद का उपयोग किया जा रहा जिससे पैदावार तो ठीक हो रहा किन्तु इसके  अँधा धुंध उपयोग से कई फसल का गुण भी परिवर्तन हो जा रहा है उदहारण के तौर पर जीराफूल धान को लेते है , रासायनिक खाद के उपयोग से इसका खुशबू कम हो जाता है, अब यहाँ ये समस्या आ गया की कैसे बिना गुण परिवर्तन के ज्यादा पैदावार ले, तो चलिए जानते है हरी खाद के बारे में , यह क्या है और कैसे बनाते है  । मृदा उरर्वता बनाए रखने के लिये हरी फसलों को खेत में जोतना एक सामान्य एवं प्राचीन व्यवहार है। आज विश्व के अनेक भागों में इसका प्रयोग भूमि की भौतिक दशा सुधारने के लिये किया जाता है। “अविघटित हरे पादप अवशेषों या पौधौं को मृदा की भौतिक दशा सुधारने तथा मृदा उरर्वता बनाये रखने हेतु, मृदा में जोतना अथवा दबाना हरी खाद देना कहलाता है।” हरी खाद के लिये कुछ दलहनी व अदलहनी तथा हरी पत्तियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन हरी खाद के लिये दलहनी फसलें अच्छी होती हैं क्योंकि दलहनी फसलों की जड़ों में गाठें होती है  जिनमें एक विशेष प्रकार के जीवाणु रहते हैं जो वायुमण्डल की तत...

जैव उर्वरकों का फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका (Biofertilizers play an important role in crop production)

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Dr. Madhulika Singh and  Dr. Virendra Kumar Painkra बहुत ही ज्यादा ध्यान देने योग्य बात  है कि वर्तमान समय में फसल उत्पादन को लगातार बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सघन खेती से मृदा में पोषक तत्व धीर धीरे कम होते जा रहे हैं इस कमी को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पूरा किया जाता है । परन्तु रासायनिक उर्वरकों की कीमतें आसमान छूने लगी है जो कि आम किसानों के लिए प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण है। प्राथमिक एवं मुख्य पोषक तत्व जैसे नत्रजन, स्फूर एवं पोटास का उपयोग पौधों द्वारा किया जाता है जिसमें नत्रजन का सर्वाधिक अवषोषण होता है। नत्रजन की इस बड़ी मात्रा की आपूर्ति केवल रासायनिक उर्वकों से कर पाना छोटे एवं मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से परे है। आर्थिक दृष्टि से नत्रजन का वैकल्पिक स्त्रोत जैव उर्वरक मृदा की उर्वरा शक्ति को टिकाउ रखने के लिए आवश्यक  है। जैव उर्वरक जैव उर्वरक सूक्ष्म जीवों की जीवित कोशिकाओ  को किसी मिश्रित करके बनाये जाते हैं तथा जिन्हे  मृदा या बीज के साथ मिला देने पर पौधों के लिये वायु मण्डलीय नत्रजन को भूमि में स्थिर करते हैं ...

मिर्च उत्पादन में पोषक तत्वों का योगदान (Contribution of nutrients in chilli production)

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मैंने अपने पिछले पोस्ट में मिर्च के वैज्ञानिक तरीके से खेती के बारे में बताया था, अब मैं  यहाँ आपको पोषक तत्वों  के बारे में संछिप्त जानकारी दूंगा पौधों को दो प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता  होती है - 1. मुख्य पोषक तत्त्व  2. सूक्ष्म पोषक तत्व  1.  मुख्य पोषक तत्त्व   वह पोषक तत्व जो पौधों को मुख्य रूप से आवश्यक हो उसे मुख्य पोषक तत्व कहलाते हैं , इसको हम नाइट्रोजन (N) ,फॉस्फोरस  (P), पोटैसियम (K) के रूप में जानते हैं ये तत्व हम पौधों को विभिन्न उर्वरक के माध्यम से देते हैं , हमे ध्यान देना है की पौधों को जितना आवश्यक हो उतना ही उर्वरक देना चाहिए, किसी भी पोषक तत्वों की कमी या अधिकता से पौधों को हानि हो सकता है।   चलिए उदाहरण के रूप में समझते हैं ,  जिस प्रकार मनुष्य  को अधिक भोजन करने या कम भोजन करने से जो महसूस होता है वो पौधों  को भी महसूस होता है हमें स्व्स्थ रहने के लिए संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार पौधों को भी संतुलित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।  ये जो पोषक तत्व है वो पौधों को यूरिया, ...

गुणकारी नीम (Virtuous Neem) - खर्चे करे कम

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नीम में जहाँ एक  तरफ वायरस और बैक्टीरिया को मारने के गुण  होते हैं वही ये नीम अब हमारे शरीर में बहुत से भयानक रोग जैसे कैंसर आदि से बचने के लिए भी कारगर सिद्ध हो रहा है। आज हम  यहाँ आपको नीम का कृषि में उपयोग को संछिप्त में  बताएँगे , नीम के उपयोग से कैसे कैंसर से भी बचा जा सकता है, ये भी देखेंगे । यह लेख बहुत ही छोटा किन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण है, आपने कभी सोचने की कोशिश  कि है, की वर्तमान में  कैंसर के मरीज इतने क्यों बढ़ रहे है अगर नहीं सोचे है तो कभी समय निकाल कर जरूर सोचे ।चलिए साथ में सोचने की कोशिश करते है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है की आप जो खा रहे है उसमे कितना रसायन है, वर्तमान में सभी किसान भाई अज्ञानतावश  बहुतायत मात्रा में फसल में उर्वरक और विभिन्न दवाइयों का छिड़काव कर रहे है। मैं  मानता हु की बिना दवाई  छिड़काव से अच्छा पैदावार नहीं होगा,  यह ध्यान देने योग्य है की हमें फसल में उतना मात्रा ही छिड़काव करना है जितना जरुरत है  ।  जिस प्रकार मनुष्य को संतुलित भोजन ही ज्यादा लाभ पहु...