गुणकारी नीम (Virtuous Neem) - खर्चे करे कम
नीम में जहाँ एक तरफ वायरस और बैक्टीरिया को मारने के गुण होते हैं वही ये नीम अब हमारे शरीर में बहुत से भयानक रोग जैसे कैंसर आदि से बचने के लिए भी कारगर सिद्ध हो रहा है। आज हम यहाँ आपको नीम का कृषि में उपयोग को संछिप्त में बताएँगे , नीम के उपयोग से कैसे कैंसर से भी बचा जा सकता है, ये भी देखेंगे ।
यह लेख बहुत ही छोटा किन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण है, आपने कभी सोचने की कोशिश कि है, की वर्तमान में कैंसर के मरीज इतने क्यों बढ़ रहे है अगर नहीं सोचे है तो कभी समय निकाल कर जरूर सोचे ।चलिए साथ में सोचने की कोशिश करते है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है की आप जो खा रहे है उसमे कितना रसायन है, वर्तमान में सभी किसान भाई अज्ञानतावश बहुतायत मात्रा में फसल में उर्वरक और विभिन्न दवाइयों का छिड़काव कर रहे है। मैं मानता हु की बिना दवाई छिड़काव से अच्छा पैदावार नहीं होगा, यह ध्यान देने योग्य है की हमें फसल में उतना मात्रा ही छिड़काव करना है जितना जरुरत है । जिस प्रकार मनुष्य को संतुलित भोजन ही ज्यादा लाभ पहुंचाता है उसी प्रकार फसल में भी संतुलित मात्रा ही लाभदायक है अतः संतुलित मात्रा का ही छिड़काव करे ज्यादा मात्रा में छिड़काव करने से बहुत दिन तक पौधा में दवाई का असर होता है जिसे आप खाते है और ये दवाई सीधा पेट में जाता है, उर्वरक का भी आप उतना ही मात्रा का उपयोग करे जितना जरुरत हो, ज्यादा से ज्यादा कोशिश करे की गोबर खाद, केचुआ खाद आदि का उपयोग करे, और कीटनाशक के जगह पे जहा तक संभव हो नीम का उपयोग करना चाहिए । अगर मात्रा की जानकारी ना हो तो किसान काल सेंटर के टोल फ्री नंबर में भी काल करके जानकारी ले सकते है।(18001801551)
किसान सबसे ज्यादा भरोसा दवाई दुकानदारों पे करता है अत: दुकानदारों का यहाँ फर्ज है की सही दवाई दे और सही मात्रा बताये ज्यादा बेचने की लालसा में ज्यादा मात्रा न बताये उनको ध्यान रखना चाहिए की कल के दिन बाजार से दुकानदार उसी किसान से साग सब्जी ले रहा है जिसको दवाई अधिक मात्रा में देने की सलाह दिया है तो जरा सोचिये जहरीला खाना आपके पास भी आ सकता है ।
मैं यहाँ आपको जीता जगता एक उदाहरण देना चाहता हुँ , अभी के स्थिति में सबसे ज्यादा उर्वरक और दवाई का उपयोग पंजाब में किया जाता है, मै आप लोगो का ध्यानाकर्षण करना चाहूंगा की वहॉ बहुत ज्यादा कैंसर के मरीज है। कैंसर के नाम से एक स्पेशल ट्रैन भी चलती है ,जरा सोचिये किस वजह से वह ज्यादा कैंसर के मरीज ज्यादा है। सबसे बड़ा कारण है विषाक्त भोजन जो की सीधे हमारे पेट में जा रहा है, तो ध्यान रखे भविस्य अपने हाथ में है । कई सारा ऐसा भी ख़तरनाक दवाई है, जिसका असर फसल में कई दिनों तक होता है, उस दवाई से मरे कीड़े को भी यदि चिड़िया खा लेता है, तो इसका दिया अंडा टूट जाता है, देखिये इस दवा का असर चिड़िया के दूसरे पीढ़ी में भी चला जाता है , तो सोचिये अगर ऐसा विषाक्त वाला साग सब्जी हम खा ले या बाजार में बेचे तो क्या होगा ।
वर्तमान में कई जगहों पर किसान उर्वरक एवं रसायनो के उपयोग अंधा-धुन्ध दिन-प्रतिदिन करता जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होता जा रहा है। किसान अधिक उपज प्राप्त करने की लालसा मे अपना भविष्य जोखिम मे डाल रहे हैं, इसका मुख्य कारण है जानकारी का अभाव, उन्हे जानकारी देने की आवश्यकता है कि जिस प्रकार किसी मनुष्य को आवश्यकता से अधिक भोजन करने उसका स्वास्थ्य खराब हो जाता है, उसी प्रकार भूमि मे आवश्यकता से अधिक उर्वरक एवं रसायनो के उपयोग से भूमि का स्वास्थ्य खराब हो जाता है अर्थात् उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाता है। ये कहना उचित नहीं होगा की उर्वरक एवं रसायनो के उपयोग से भ्ूमि उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाता, अगर उर्वरक एवं रसायनो का उचित मात्रा में उपयोग और फसल चक्र अपनाया जाये तो भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रह सकता है।
किसान अपनी जानकारी के अभाव के कारण ही उर्वरक एवं रसायनो के उपयोग अंधा-धुन्ध करता है, उन्हे जानकारी की सख्त आवश्यता है, रसायनो का उपयोग उचित मात्रा मे करे, अथवा रसायनो का विकल्प का उपयोग करे जैसे :- रसायनिक कीटनाशक के विकल्प के रूप में नीम का उपयोग किया जा सकता है।
नीम का पेड़ लगभग सभी गांव मे होता है, और ये बहुत ही गुणकारी होता है, जैसे इसका उपयोग दातून के रूप मे दांत साफ करने मे किया जाता है, मलहम के रूप मे घाव सुखाने मे, अनाज (गेहू़ं, चावल, दाल) सुरक्षा हेतू ,घुन, कीटों की रोकथाम, कपड़ों की सुरक्षा हेतु नीम के पत्तो का उपयोग किया जाता है, इनके पत्तियों को पानी डाल कर नहाने से चर्म रोग से निजात मिलता है।
नीम की प्रमुख मंडिया आंँध्र प्रदेश मे गंटुर व विजयवाड़ा और छत्तीसगढ़ मे रायपुर मे है, नीम के तेल का औसतन 2000-2500 रू. प्रति क्विंटल है, जो की घटता-बढ़ता रहता है।
नीम का महत्व :-
नीम ¼Azardirachta indica½ की संस्कृत शब्द Nimba से उत्पत्ति है, जिसका अर्थ बीमारी से छुटकारा पाना होता है।
नीम के सभी पाँच भाग :-पत्ती, फूल, फल, जड़ व तने की छाल महत्व के होते है।
खेती मे प्रयोग के अलावा, नीम से कैंसर ठीक होता है।
नीम वातावरण तो शुध्द करता ही है, मानव रक्त को भी साफ करता है, रोज 5 से 10 पत्तियां चबाने से खून की अनेक अशुध्दियों से छुटकारा मिलता है।
खेती मे ’नीमेक्स‘ नामक जैविक खाद एवं कीट निवारक पदार्थ भी प्रयोग होता है, जिससे मृदा की उत्पादन क्षमता मे बढ़ोत्तरी, विष रहित, स्वादिष्ट, विष रहित, स्वास्थ्यवर्धक ’जैविक भोजन‘ उत्पादित करता है, इसकी मात्रा धान्य दलहन, तिलहन फसलों में 125-150 कि.ग्रा.़/हे. बुवाई से पूर्व डालने से लाभ मिलता है, फल वृक्षों में 500-1000 ग्राम प्रति वृक्ष प्रति क्षमाही डालने से लाभ होता है।
रैली नीम, नीम तेल, नीम गोल्ड आदि का कृषि में प्रयोग किया जा रहा है।
नीम का कीटनाशक के रूप में उपयोग
नीम का उपयोग विभिन्न किटो के नियंत्रण के लिए किया जाता जिसका चित्र निचे दिया गया है निचे दिए चित्रों के अलावा भी विभिन्न किटो के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है
1. Locust
3. White fly
4. House fly
5. Mexican bean beetle
6. Colorado potato beetles
7. Corn earworm
8. Cabbage looper
नीम की पत्ती और इसके बीज दोनों से ही कीटनाशक बनाया जाता है, बीज से बनाया गया कीटनाशक ज्यादा प्रभावकारी होता है
नीम के बीज से कीटनाशक बनाने की विधि
१. नीम के बीज से तेल निकलना
२. १ लीटर कीटनाशक बनाने 5ml नीम का तेल लेवे उसमे १ ml साबुन पानी एमुल्सिफाइर के रूप में मिलाये
३. इसमें १ लीटर पानी की मिलाये और स्प्रे के रूप में फसल पर उपयोग करे
नीम के पत्ती से कीटनाशक बनाने की विधि
१. 5 लीटर का स्प्रे बनाने के लिए लगभग 1 किलोग्राम फ्रेश नीम की पत्ती लेना चाहिए
२. एक खली बर्तन लेवे जिसमे 1 किलोग्राम नीम पत्ती और 5 लीटर पानी को उबालें
३. पानी को तब तक उबालें जबतक की नीम की पत्ती का रंग उड़ न जाये
४. उबले पानी को रातभर ठंडा होने के लिए छोड़ देवे
५. दूसरे दिन नीम के पत्ती को छान कर अलग कर दे
६. बने हुए द्रव को अब स्प्रे के रूप में उपयोग कर सकते है
नोट : 1 किलोग्राम नीम के पत्ती के साथ १०-१२ लहसुन की कली को भी कूट कर मिला सकते है
नीम के खली /केक से कीटनाशक बनाने की विधि
१. 1 लीटर पानी में 100 ग्राम खली की आवश्यकता है
२. एक मखमल के कपडे में खली को ले ऐसे इसे कपडे में बांध दे
३. रातभर 1 लीटर पानी में 100 ग्राम खली को डुबाकर छोड़ दे
४. सवेरे खली को अलग कर लेवे और इस घोल में 1ml साबुन का पानी एमुल्सि के रूप में मिलाकर छिड़काव के रूप में उपयोग करे
निचे दिए गए लिंक से भी आप दवाई माँगा सकते है या फिर घर पे भी बना सकते है










Comments