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Showing posts from January, 2020

किसानो के हित में विभिन्न कृषि योजनाए (Different agricultural scheme for farmers)

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सरकार के द्वारा किसानो के लिए विभिन्न योजना चलाये जा रहा है किन्तु जानकारी के आभाव में किसान योजना का लाभ नहीं  ले पा रहा यहाँ ये ये लेख लिखने का मकसद है की किसानो तक सभी योजना पहुंचे और इसका लाभ ले ताकि और अच्छे से वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सके, अगर आपको  लगता है की ये योजना लोगो तक जाना चाहिए तो बस आप इसे फॉरवर्ड करते जाये।  धन्यवाद् 

वर्मी कम्पोस्ट एक लाभदायक खाद (Vermicompost: a beneficial manure)

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डाॅ. विरेन्द्र कुमार पैंकरा एवं डाॅ. युवराज सिंह ध्रुव  केचुओं का वैज्ञानिक ढंग से नियन्त्रित दशाओं में पालन (संवर्धन) एवं प्रजनन वर्मीकल्चर कहलाता है तथा केचुओं द्वारा बेकार कार्र्बिनक पदार्थो  (गोबर, सड़ी-गड़ी फल सब्जियां पत्तियां, पुआल, घास फूस व खरपतवार आदि) को खाकर जो विसर्जित पदार्थ निकाला जाता है उसे वर्मीकम्पोस्ट कहते हैं। वर्मीकम्पोस्ट में किसी भी अन्य कम्पोस्ट की अपेक्षा निम्न विशेषताएं  पाई जाती है - वर्मीकम्पोस्ट में गोबर की खाद की अपेक्षा कई गुना पोषक तत्व पाये जाते हैं। दानेदार हाने  के कारण वर्मीकम्पोस्ट भूिम वायु संचार एवं जलधारण क्षमता को सुधारता है। इसमें पौधों के लिए लाभकारी सूक्ष्मजीव अत्यधिक हातेे है, जैसे - नाइट्रोजन फिक्सिंग  बैक्टीरिया, फास्फेट सोल्युबिलाइजिंग बैक्टीरिया, फंजाई एक्टीनोमाइसीन, पौधों की वृिद्ध को प्रोत्साहित करने वाले बैक्टीरिया तथा बहुत से अन्य महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीव । वर्मी कम्पोस्ट मे  आग्जीन्स, जिबे्रलिन्स, साइटोकाइनिन्स, विटामिन्स एवं एमीनो एसिड्स पाये जाते है  जिनमें पौध...

जशपुर में काजू की खेती- एक अच्छा आय स्त्रोत (Cashew farming in Jashpur-a good income source)

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डॉ विरेन्द्र कुमार पैंकरा  छत्तीसगढ़  के जशपुर जिले में दुलदुला क्षेत्र के किसान धान की पारंपरिक खेती छोड़कर काजू और आम की पैदावार लेकर अपनी कमाई दोगुना कर ली है। सात साल पहले किसानों ने धान की खेती को छोड़कर काजू और आम के पौधे लगाने का फैसला लिया और ढाई हजार एकड़ खेत में दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली, तोतापरी के पौधे लगाए। अब पौधे पेड़ बन चुके हैं और इसमें लगे आमों की बाजार में खासी डिमांड होने किसानों की अच्छी खासी कमाई हो जा रही है। दुलदुला क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने के लिए धान की खेती छोड़कर पहले काजू की पैदावार में हाथ आजमाया। इसके अलावा जमीन पर बाड़ी विकास योजना में विभिन्न प्रजाति के आम के पौधे लगाए। अच्छी पैदावार होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। आम की डिमांड बढ़ने से किसान अच्छी आमदनी की उम्मीद जता रहे हैं। दशहरी आम मार्केट में 50 रुपए किलो में बिक रहे। इसकी डिमांड अंबिकापुर, कोरबा और रायगढ़ तक से की जा रही है। दुलदुला क्षेत्र के खंडसा, बकुना, गिनाबहार सहित कई गांवों के किसानों ने बाड़ी विकास कार्यक्रम में काजू और और आम की खेती की। अब अच्छी पैदावार होने से किस...