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Showing posts from October, 2020

हरी खाद अपनायें- मृदा उरर्वता बढ़ाऐं (Use green manure- increase soil fertility)

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वर्तमान में   फसल उत्पादन हेतु कितना ज्यादा कृत्रिम खाद का उपयोग किया जा रहा जिससे पैदावार तो ठीक हो रहा किन्तु इसके  अँधा धुंध उपयोग से कई फसल का गुण भी परिवर्तन हो जा रहा है उदहारण के तौर पर जीराफूल धान को लेते है , रासायनिक खाद के उपयोग से इसका खुशबू कम हो जाता है, अब यहाँ ये समस्या आ गया की कैसे बिना गुण परिवर्तन के ज्यादा पैदावार ले, तो चलिए जानते है हरी खाद के बारे में , यह क्या है और कैसे बनाते है  । मृदा उरर्वता बनाए रखने के लिये हरी फसलों को खेत में जोतना एक सामान्य एवं प्राचीन व्यवहार है। आज विश्व के अनेक भागों में इसका प्रयोग भूमि की भौतिक दशा सुधारने के लिये किया जाता है। “अविघटित हरे पादप अवशेषों या पौधौं को मृदा की भौतिक दशा सुधारने तथा मृदा उरर्वता बनाये रखने हेतु, मृदा में जोतना अथवा दबाना हरी खाद देना कहलाता है।” हरी खाद के लिये कुछ दलहनी व अदलहनी तथा हरी पत्तियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन हरी खाद के लिये दलहनी फसलें अच्छी होती हैं क्योंकि दलहनी फसलों की जड़ों में गाठें होती है  जिनमें एक विशेष प्रकार के जीवाणु रहते हैं जो वायुमण्डल की तत...

जैव उर्वरकों का फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका (Biofertilizers play an important role in crop production)

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Dr. Madhulika Singh and  Dr. Virendra Kumar Painkra बहुत ही ज्यादा ध्यान देने योग्य बात  है कि वर्तमान समय में फसल उत्पादन को लगातार बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सघन खेती से मृदा में पोषक तत्व धीर धीरे कम होते जा रहे हैं इस कमी को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पूरा किया जाता है । परन्तु रासायनिक उर्वरकों की कीमतें आसमान छूने लगी है जो कि आम किसानों के लिए प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण है। प्राथमिक एवं मुख्य पोषक तत्व जैसे नत्रजन, स्फूर एवं पोटास का उपयोग पौधों द्वारा किया जाता है जिसमें नत्रजन का सर्वाधिक अवषोषण होता है। नत्रजन की इस बड़ी मात्रा की आपूर्ति केवल रासायनिक उर्वकों से कर पाना छोटे एवं मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से परे है। आर्थिक दृष्टि से नत्रजन का वैकल्पिक स्त्रोत जैव उर्वरक मृदा की उर्वरा शक्ति को टिकाउ रखने के लिए आवश्यक  है। जैव उर्वरक जैव उर्वरक सूक्ष्म जीवों की जीवित कोशिकाओ  को किसी मिश्रित करके बनाये जाते हैं तथा जिन्हे  मृदा या बीज के साथ मिला देने पर पौधों के लिये वायु मण्डलीय नत्रजन को भूमि में स्थिर करते हैं ...